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decision making process in hindi

निर्णय लेने की प्रक्रिया(Decision Making Process In Hindi)

Posted on May 26, 2021May 26, 2021 By Sanjeev Kardwal No Comments on निर्णय लेने की प्रक्रिया(Decision Making Process In Hindi)

निर्णय लेना एक महत्वपूर्ण कार्यवाही है। हम कई तरह के कार्यों के करने के लिए  Decision लेना होते है, जिसके लिए उचित निष्कर्ष निकालना आवश्यक होता है। Decision Making Process एक ऐसी निर्णय लेने की प्रक्रिया है, जिसके द्वारा कोई लक्ष्य प्राप्त करने या किसी उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए लिया जाता है। 

दो या दो से अधिक वैकल्पिक पाठ्यक्रमों के बीच से इसका चयन किया जाता है। यह Decision Making  किसी भी कार्य के लिए हो सकता है, यह अपने व्यवसाय या किसी ऑफिस के प्रबंधकीय निर्णय लेना या किसी निजी उद्देश्य के लिए हो सकता है।  हम आपको आज की इस पोस्ट में Decision कैसे ले और Decision Making in hindi मे प्रक्रिया को विस्तार से आपके सामने रखेंगे।  

Table of Contents

  • Decision Making निर्णय निर्माण
  • निर्णय लेने का अर्थ।
  • निर्णय निर्माण की प्रक्रिया (Process of Decision-Making)
  • समस्या का विश्लेषण करने के तरिके –
    • Decision Making skill (निर्णय लेने का कौशल)
    • Decision Making के प्रकार (Types of Decisions)
    • निर्णय लेना और समस्या समाधान

Decision Making निर्णय निर्माण

Decision Making (निर्णय निर्माण) में कई तरह की चीजों को शामिल किया जाता है। जिसमे आपको अपने विचार को स्पष्ट करने के लिए कई योजना पर कार्य करके किसी Decision पर आया जाता है। जैसे कि किस भी निर्णय लेने से पहले आपको यह जानना होता है, की कब? कैसे? कहा पे? किसके द्वारा? आदि। 

इसके बाद उस कार्य के लिए निर्णय निर्माण का अंतिम रूप दिया जाता है। निर्णय निर्माण में कई कार्य आते है, उसी तरह प्रबंधन के अन्य कार्य जैसे आयोजन और नियंत्रण भी निर्णय लेने से बना है। जिसमे आप किसी दो या दो से अधिक पक्षों के बीच निर्णय चुनाव का एक कार्य करते है। 

Decision Making (निर्णय निर्माण) में हमेशा दो से अधिक विकल्प शामिल होते हैं, यह कभी भी किसी एक के साथ नहीं लिया जा सकता है। इसके लिए दो से अधिक पक्षों का होना आवश्यक होता है।  यदि केवल एक ही विकल्प है, तो कोई निर्णय नहीं लिया जा सकता है।

एक निर्णय एक कार्य की निष्क्रियता है जो किसी समाधान तक पहुँचती है, इसमें किसी भी तरह समस्या हो सकती है या कोई नए कार्य को करने के लिए लिया गया निर्णय हो सकता है। निर्णय को एक निष्कर्ष के रूप में भी देखा जाता है। एक प्रबंधक भविष्य में (या बाद में) उसे क्या करना है, कैसे करना है, और कब करना चाहिए यह सभी कुछ  Decision Making (निर्णय निर्माण) के अंतर्गत आता है।  

निर्णय लेने का अर्थ।

निर्णय लेना एक बहुत जवाबदारी का कार्य होता है।  यह प्रबंधन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, क्योंकि निर्णय लेना समस्या से संबंधित है और आपको किसी दो परिस्थितियों में से एक को चुनना होता है।  यह आपके निर्णय पर निर्भर करता है, की आप उसमे क्या निर्णय लेते है। 

प्रभावी निर्णय लेने से ऐसी समस्याओं को हल करके वांछित लक्ष्यों या उद्देश्यों को प्राप्त करने में मदद करता है। निर्णय का अर्थ है की, विचार-विमर्श में कटौती करना और निष्कर्ष पर आना। सभी परिस्थितियों को देखकर लिया गया निर्णय आपके कार्य और आपकी समस्या को ठीक करने में मदद करता है।

निर्णय निर्माण की प्रक्रिया (Process of Decision-Making)

निर्णय निर्माण इतना आसान नहीं होता है, किसी भी निर्णय तक पहुंचने के लिए आपको इसकी प्रोसेस को देखना होता है।  यदि हम प्रशासनिक क्षेत्र की बात करे तो, निर्णय निर्माण या निर्णय प्रक्रिया के क्षेत्र में विद्वानों ने अलग अलग मत प्रस्तुत किये हैं । सभी ने इसके अलग अलग चरणों के बारे में बताया है। 

हरबर्ट साइमन ने निर्णय प्रक्रिया को तीन चरण में बाटा है, वही  न्यूमैन व वारेन ने चार चरणों में निर्णय निर्माण की प्रक्रिया को समझाया है। इसी तरह सभी ने अलग अलग निर्णय निर्माण की प्रोसेस को बताया है।  हम आपको इन्ही में से मुख्य प्रोसेस को बताते है, जो आपके Decision Making को सफल बनाने में मदद करता है।  

(1) लक्ष्य निर्धारण (Setting of Goals)

लक्ष्य निर्धारण (Setting of Goals) निर्णय निर्माण की प्रक्रिया का हिस्सा होता है।  सबसे पहले निर्णय निर्माण के प्रथम चरण में आपको अपने उद्देश्यों या लक्ष्यों का निर्धारण करना होता है, जिसके बाद ही आगे बढ़ा जा सकता है। हमे देखना होता है की प्रशासक या व्यवसाय प्रबंधक को जनता के हित में अथवा सार्वजनिक कल्याण की दृष्टि से किन लक्ष्यों को प्राप्त करना उचित है ।

(2) अपनी समस्या की विस्तार से व्याख्या करना

किसी भी निर्णय को लेने से पहले समस्या की व्याख्या का आकलन करना होता है। यह दूसरा सबसे महत्वपूर्ण बिंदु होता है।  इस चरण में यह जानने का प्रयास किया जाता है कि लक्ष्यों को प्राप्त करने में मार्ग में कौन-कौन सी समस्याएँ आती है। सबसे पहले समस्याओं की पहचान होना जरुरी है, जिसके बाद हम निर्णय निर्माण की पप्रोसेस में आगे बढ़ते है।  

(3) समस्या का विश्लेषण (Analysis of the Problem)

यदि निर्णय निर्माण में आपको समस्या का पता चलता है, तो समस्या की व्याख्या करना होती है, उसके बाद ही किसी निर्णय पर पहुंचा जाता है | छोटी समस्या का विश्लेषण सरल होता है, लेकिन आपके  सामने यदि कोई बड़ी समस्या है, तो उसका पूरी तरह से विश्लेषण करने के बाद ही निर्णय लेना होता है।  

समस्या का विश्लेषण करने के तरिके –

वैकल्पिक समाधान (Alternative Solution):

समस्या-विश्लेषण के उपरान्त आप किसी भी समस्या के लिए वैकल्पिक समाधान का उपयोग कर सकते है।  जिससे आप अपनी समस्या का सही निर्णय ले सके। इसमें सम्बन्धित तथ्यों एवं सूचनाओं के आधार पर विकल्प प्रस्तुत किये जाते हैं ।

द्वारा चयन किया जाना 

सभी वैकल्पिक समाधानों को देखने के बाद यह देखा जाता है, की कौन सा विकल्प समस्या के समाधान हेतु सर्वाधिक उचित होगा।  विवेक संगत विश्लेषण के उपरान्त ही उसका निर्णय लिया जाता है।  

निर्णयों का क्रियान्वयन (Implementation of Decisions):

निर्णयों का क्रियान्वयन इसी का पहलू होता है। जब निर्णय लिया जाता है, उसके बाद निर्णयों का क्रियान्वयन करना बेहद जरूरी होता है। जिससे कि समाधान सम्भव हो सके, इसके माध्यम से आप अपने कार्य को और काम करने वाले कर्मचारियों से कार्य पर नियंत्रण रख सकते है।  

निर्णय की प्रतिपुष्टि (Confirmation of Decision):

यह Decision Making (निर्णय निर्माण)  की अंतिम प्रोसेस होती है, इसमें आपको अपना अंतिम निर्णय दिखाई देता है। जिसके ऊपर आपको अपना अंतिम पक्ष दीखता है। यही निर्णय प्रक्रिया का अन्तिम चरण है | 

Decision Making skill (निर्णय लेने का कौशल)

निर्णय लेने का कौशलd आपके अंदर होना जरूरी है, यदि निर्णय लेने का कौशल आपके पास है, तो आप सही निर्णय पर पहुंच सकते है।  इसके लिए आपको निम्न बातो को देखना होता है।  

1. महत्वपूर्ण कारकों की पहचान करें – 

सबसे पहले आपको निर्णय के लिए महत्वपूर्ण कारकों की पहचान करना होता है, जिसकी मदद से आप अपने निर्णय को ले सकते है। एक अत्यधिक कुशल निर्णयकर्ता होने के लिए उत्कृष्ट विश्लेषणात्मक कौशल की आवश्यकता होती है। और सभी से उचित विचार-विमर्श किया जाना चाहिए।  

2. नैतिक निर्णय लेने का कौशल – 

 नैतिक निर्णय लेने का कौशल आपके पास होना आवश्यक है। जिससे आप कठिन विकल्पों में से किस का चुनाव कर सकते है।  इसमें स्वास्थ्य देखभाल, वित्तीय उद्योग, और बहुत सारे केंद्रीय कौशल आते है।

3. विकल्पों का सही मूल्यांकन 

आपके पास जो भी विकल्प है उनका सही से मूल्यांकन करें क्योंकि उन्ही में से आपको निर्णय लेना होता है। इसके लिए

4. उपभोक्ता निर्णय लेना 

उपभोक्ता के लिए लिया गया निर्णय उपभोक्ता निर्णय कहलाता है, एक्स नादेर उपभोक्ता से जुड़े निर्णय लेने का कौशल होना आवश्यक है। जैसे किसी वास्तु का रेट बढ़ाना है, या कम करना है तो आपको सही समय पर इसका निर्णय लेते आना जरुरी है।  

5. टीम निर्णय लेने का कौशल

व्यापार और प्रबंधकीय नौकरियों में टीम निर्णय लेने का कौशल सबसे महत्वपूर्ण है। इसमें आपको अपनी टीम के लिए या टीम के साथ निर्णय लेना होता है। यह एक बड़ी चुनौती है, इसमें तेमा के सभी लोग आपसे सहमत होना महत्वपूर्ण होता है ।

 6. चिकित्सा निर्णय लेने का कौशल

चिकित्सा निर्णय अति महत्पूर्ण निर्णय में से एक होता है, क्युकी इसमें किसी की जान का नुकशान जुड़ा होता है।  यदि सही समय पर सही निर्णय नहीं लिया गया यो किसी की जान जा सकती है। इसमें  डॉक्टरों, नर्सों और अन्य स्वास्थ्य पेशेवरों के निर्णय जुड़े होते है।  

7. डेटा संचालित निर्णय लेने का कौशल

डेटा संचालित निर्णय लेने का कौशल आपको कई तरह की मार्केटिंग या स्वास्थ्य सेवा जैसे डेटा-भारी क्षेत्रों में महत्वपूर्ण है। इस तरह के निर्णय व्यवसाय की ग्रोथ को बढ़ाने में मदद करते है।  डेटा संचालित निर्णय लेने का कौशल आपको अपने जीवन में तरक्की में मदद करता है।

8. जोखिम और अनिश्चितता के साथ निर्णय लेने का कौशल 

सबसे कुशल प्रबंधक में यह गन होना आवश्यक होता है, जिससे वह किसी भी परिस्थिति में निर्णय ले सकता है। इस तरह के निर्णय सर्वोत्तम न्यायसंगत अनुमानों का न्याय करते हैं। सबसे अच्छा अनुमान आपके भविष्य से जुड़े हुए फैसले लेता है।  

Decision Making के प्रकार (Types of Decisions)

किसी भी संगठन या व्यापार में लिये जाने वाले निर्णयों को निम्न भागों में विभक्त किया जा सकता है:

कार्यात्मक तथा अकार्यात्मक निर्णय (Programmed and Non-Programmed Decisions)

Herbert Simon पद्धति मे Decision को दो वर्गों में बाँट गया है. पहला कार्यात्मक निर्णय और दूसरा अकार्यात्मक निर्णय । कार्यात्मक निर्णयों में व्यापार व संगठन के दिन-प्रतिदिन के लिए जाने वाले निर्णयों को शामिल किया जाता है। और अकार्यात्मक निर्णय किसी विशेष परिस्थिति या लम्बे समय के लिए निर्णय लिया जाता है।  

दैनिक आधार पर लिए जाने वाले निर्णय

दैनिक व आधारभूत निर्णय लेने के लिए आपको ज्यादा समय नहीं देना होता है।  इस तरह के निर्णय कम समय लेते है, यह सामान्य प्रक्रिया के द्वारा लिये जाते हैं तथा ‘दैनिक निर्णयों’ की श्रेणी में आते हैं । दैनिक व आधारभूत निर्णय लेने के लिए आपको ज्यादा  विवेक या ज्ञान की आवश्यकता नहीं होती है।  यह प्रतिदिन होने वाले कार्यों के अनुसार लिए जाते है। इस प्रकार के निर्णय उच्च श्रेणी के अधिकारियों द्वारा लिए जाते है, इसमें ज्यादा लोगों द्वारा सम्मिलित निर्णय नहीं होते है।  

संगठनात्मक और एकीकृत निर्णय (Organizational or Personal Decisions)

संगठनात्मक व एकीकृत निर्णय चेस्टर आई. बर्नार्ड के अनुसार इसमें दोनों को अलग विभाजित किया जाता है। जो निर्णय संगठन के परिप्रेक्ष्य में लिये जाते हैं जिनसे संगठन को फायदा होता है, इस तरह के निर्णय इस श्रेणी में आते है। ऐसे निर्णय संगठन के उच्च स्तर से निम्न स्तर की और किये जाते है।  और व्यक्तिगत निर्णय वे होते हैं, जो एक पदाधिकारी द्वारा अपने कर्मचारी के लिए लिए जाते है।  

एकाकी और सामूहिक निर्णय (Individual or Collective Decisions)

‘एकाकी निर्णय’ अकेले के आधार पर लिए जाते है, जो प्रशासन के क्षेत्र में एक ही व्यक्ति द्वारा लिये जाते है। इस तरह के निर्णय प्रशासन द्वारा लिए जाते है, जिन्हे सभी लोगो को मानना होता है। और वही सामूहिक निर्णय अधिक लिये जाते हैं। जो किसी संस्था के अनुसार ”समूह द्वारा किये जाते है।  

नियोजित और अनियोजित निर्णय (Planned or Unplanned Decision)

आर. ई. विलियम्स द्वारा नियोजित व अनियोजित निर्णय को दर्शाया गया है। इस तरह के निर्णय प्राय: तथ्यों के आधार पर लिए जाते है और उनके लिये वैज्ञानिक विधियों का प्रयोग किया जाता है। अनियोजित निर्णय किसी विशेष परिस्थिति या समस्या के आने पर लिए जाते है, यह पूर्वनियोजित नहीं होते है और कम समय में लिए जाते है। 

निर्णय लेना और समस्या समाधान

हमे आपको निर्णय लेने का कौशल और निर्णय लेने के प्रकार या Decision Making Process के बारे में बताया है। इन सभी के आधार पर निर्णय लेकर समस्या का समाधान किया जा सकता है। किसी भी तरह के निर्णय पर पहुंचने के लिए आपको अपनी समस्या का आकलन करना अति आवश्यक होता है, उसी के आधार पर कोई निर्णय तक पहुंच पाना संभव होता है।  

निर्णय लेना प्रबंधन में एक महत्वपूर्ण कार्य है, इसको बेहतर तरीके से आना हम सभी के लिए महत्वपूर्ण होता है। क्योंकि निर्णय लेना समस्या से संबंधित है, और यदि आप एक बेहतर निर्णय स्किल को समझते है, तो यह आपके लिए यह सभी कुछ बहुत आसान हो जाता है और आप अपने लिए और अपने संगठन के लिए निर्णय ले पाएंगे। इससे आप वांछित लक्ष्यों या उद्देश्यों को प्राप्त कर सकते है।  

-धन्यवाद

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