Monk Fruit क्या है | मोंक फ्रूट की खेती कैसे की जाती है?

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Monk fruit एक बारहमासी होने वाला फसल” है। इसका जीवनकाल 4-5 साल का होता है। इस फसल पर अंकुरण के 8-9 महीने बाद फल लगना स्टार्ट हो जाता है। यह हमे 16 डिग्री से 20 डिग्री सेल्सियस के वार्षिक औसत तापमान और पहाड़ी क्षेत्र में आर्द्र परिस्थितियों मे उगता है। मोंक फल (Monk Fruit) यह एक चीन से आया फल हैं जो हाल ही मे भारत में उगाने की बात चल रही हैं।

इसे उगाने से भारत को पूंजी बढ़ोतरी के अवसर भी सामने आ रहे है क्योंकि चीन के बाद भारत की उत्तरी सीमा इसका का वातावरण तापमान मोंक फलों के लिए अनुकुल व अच्छा वातावरण मिलता है l इस फल का scientific(वैज्ञानिक) नाम Siraitia grosvenorii हैं।

यह लौकी की प्रजाति का फल है जिसमें कद्दू, लौकी, चपल कद्दू के कुछ गुण पाए जातें हैं यह शुद्ध शाकाहारी फलों में से एक माना गया हैं।

यह देखने मे तो फल है पर अपने आप में औषधीय गुण व एक हरी सब्जिय तत्वों को भी समाए हुए है। इस फल को पालमपुर स्थित  काॉउंसलिंग  ऑफ़ साइंटिफ़िक रिसर्च और हिमालयन बायो रिसोर्स टेक्नोलॉजी(CSIR-IHBT) के द्वारा शोध किया गया और परिमाण से पता चला की यह फल भारत मे भी उगाया जा सकता है और इसके गुणों से कई प्रकार के लाभों को प्राप्त किया जा सकता हैं।

इसे हर प्रकार के खाद्य पदार्थ में डालकर भी प्रयोग में लाया जा सकता हैं अभी भारत इसे सूखे रूप में ही प्राप्त करके प्रयोग में लाता था पर अब पुष्टि से जानकारी मिली है की हम इसे भारत में उगा कर इसका व्यापार कर सकते है शुरुआती अनुमान 3 लाख से 4 लाख प्रति हेक्टेयर का लगाया गया।

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इसे मोंक फ्रूट (Monk Fruit) क्यों बोला जाता है?

मोंक फल अपने आप में ही औषधीय गुण अपनाए हुए हैं ये फलीय प्रजाति चीन (China) के दक्षिण क्षेत्रों मे पाई जाती है जहाँ पर तिब्बती क्षेत्रों के नजदीक भिक्षु साधुओं के रहने से इसका नाम भिक्षु फल यानी मोंक फल (Monk fruit) पुकारा जानें लगा। 

यह अपनी क्षेत्रीय विशेषताओ के कारण व अपनी चमत्कारी और प्रभावकारी गुणों के द्वारा मोंक फल कहलाता है इतना ही नहीं इसका प्रभावकारी गुण बीमारी के दौरान एक वरदान की भातिं सहायक सिद्ध होता हैं। 

इसके गुण शरीर को ऊर्जा व इम्यूनिटी बुस्टर (Immunity booster) का कार्य करते हैं इसकी कुछ अन्य और भी विशेषता है जो इसे अन्य फलों से अलग बनाती हैं इस प्रकार हम कह सकते है की इसके गुणों को देखकर इसे भिक्षु फल (Monk fruit) कहना गलत नहीं होगा।

Monk fruit की खेती सबसे पहले कहा हुई?

मोंक फ्रूट (Monk Fruit) की खेती सबसे पहले चीन के दक्षिणी क्षेत्रों मे 100 वर्ष पहले से की जा रही हैं | यह अमेरिकी क्षेत्रों में भी पाया जाता है पर शुरुआत चीन से हुई है।

भारत में Monk fruit की खेती कैसे शुरू हुई?

भारत में मोंक फल हाल हीं के वर्षों में उगाये जानें की पुष्टि हुई हैं इसे पालमपुर स्थित कॉउंसलिंग  ऑफ़ साइंटिफ़िक रिसर्च  और हिमालयन बायो रिसोर्स टेक्नोलॉजी, कुल्लू(CSIR-IHBT) द्वारा शोध किया गया और परिमाण से पता चला की यह फल भारत मे भी उगाया जा सकता हैं और अब हिमालय के क्षेत्रों में बोया जा रहा हैं।

सबसे पहले इसे रायसन गाँव के एक किसान ने कुछ बीजों को अपने निजी क्षेत्र में बोया और उसके परिणाम को प्राप्त कर सरकार को ‘मेटेरियल ट्रांसफर एग्रीमेंट’ (Material transfer agreement) के तहत सौप दिया जिससे CSIR ने इसे certification देकर भारत मे बोये जानें के लिए इसे स्वीकार किया।

इस फल का जीवनकाल चार से पाँच साल का हैं और यह बारह मासी फल है l जो की 8 या 9 महीने बाद अंकुरण के बाद फल देता हैं इसका उत्पादन भारत में लाभकारी सिद्ध होगा न केवल स्वस्थ्य बल्कि भारत के economy में भी सहायक होगा।

इसके फल को सालभर का तापमान 16 से 20 डिग्री होना अनिवार्य है भारत का कुल्लू क्षेत्र इस फल के लिए शुभ संकेतक के रूप में अनुकूल साबित हुआ है।

Monk Fruit से भारत को होने वाला फायदा

अब बात करते है मोंक फ्रूट (Monk Fruit) के चलते भारत पर पड़ने वाले प्रभाव की जैसा की जानने से हमे पता चला है की मोंक फ्रूट अगर भारत की उत्पादन क्षेत्रों में आता है तो इसे अपने देश की हेल्थ में सुधार होने के साथ बाहरी देशों मे भी निर्यात करने का मौका मिलेगा साथ हीं देश को आर्थिक लाभ भी होगा जिससे कही निर्यात में बढोती भी देखने को मिलेगा क्योंकि भारत एक सुनीति वाला देश है और भारत के इस गुण से बाहरी देश निर्यात करने में कोई हिचकिचाहट नहीं करेंगे।

चीन जैसे देश की नीतियों से सभी देश परिचित है क्योंकि वह अपनी उलझी नीतियों से सबको फसा देता है इस बात को ध्यान मे रखते हुए हम मोंक फल के उत्पादन मे अपनी क्षमता बढ़ा सकते है और व्यापार को मजबूत कर सकते है।

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Monk fruit के फायदे क्या है?

मोंक फ्रूट एमिनो एसिड, फरक्टोज, vitamin शामिल है  मोंक फ्रूट (Monk Fruit) में मिठास की मात्रा चीनी के मुकाबले 300 गुना ज्यादा मीठा होता हैं।

इसमें कैलोरी की मात्रा बहुत कम होती हैं जिससे खाने के रूप में प्रयोग में लाया जा सकता है जिन व्यक्तियों में डायबिटीज़ की समस्या होतीं है जो डेली प्रयोग में शुगर नहीं खा पाते वे इसका प्रयोग सप्ताह के सातों दिन कर सकते है।

ICSR ने इसे गर्भवती महिलाओ और बच्चों के लिए भी फायदेमंद माना हैं।

जो व्यक्ति अपना वजन घटाना चाहतें है वे भी अपनी डेली रुटिन मे इसका प्रयोग कर सकते है | परन्तु बुजुर्ग व्यक्तियों के लिए कितना लाभकारी है इसकी पुष्टि अभी नहीं पाई है।

इसके पाउडर का उपयोग chocolate cake और डेली रुटिन कॉफ़ी मे भी किया जा सकता हैं।

इसे चयपाच्य के रोगी, हृदय रोगी, मधुमेह रोगी, इंसुलिन रोगी इसे प्रयोग कर सकते हैं WHO के मुताबिक दुनियाँ मे 346 मिलियन मधुमेह रोगी है जो इसका प्रयोग करके लाभ उठा सकते है।

USA द्वारा इसको प्रयोग करने के तरीके पर ध्यान डाला पर पेदावार अभी भी चीन में ही हो रही हैं l इसके प्रभावशाली ढ़ग को देखते हुए अब इसकी उपज पर सबकी नज़र जा रही हैं।

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Monk fruit के नुकसान क्या है?

जैसा की हम सबको पता है की मोंक फ्रूट (Monk Fruit) से फायदा बहूत होता है पर ध्यान रहे हर अच्छी चीज सभी के लिए अच्छी नहीं हो सकती। आईये हम कुछ नुकसान के बारे में भी बात कर लेते है।

जैसा की आपको बताया गया कि यह लौकी की प्रजाति का फल है अथार्थ इसे पोषक तत्व  लौकी और कद्दू से मेल खाते है पर जिन व्यक्तियों को लौकी या कद्दू से एलर्जी है वे लोग अगर इसका सेवन करते है तो उनको बहूत ज्यादा नुकसान हो सकता हैं l क्योंकि ये अपने आप में ही अपने तेज गुण के कारण ही famous हैं और इसकी खूबी भी एसी की वजह से नामित है तो ये एलर्जी वाले लोगो को निसन्देह नुकसान दायक है।

और दूसरी बात जो ध्यान देने योग्य है की यह सिद्ध नहीं हुआ की ये बुजुर्ग लोगो के लिए सही है या नहीं हमें इसके लिए ICSR की पुष्टि तक इंतजार करना होगा।

बाकी स्वस्थ लोगों और जो युवा वर्ग बीमारियों से पीड़ित है , गर्भवती महिलाओं और बच्चों के लिए प्रयोग में लाना कोई चिंता का विषय नहीं हैं।

इस प्रकार monk fruit (मोंक फल) के उत्पादन और फ़ायदे के बारे में जानने के बाद यह साबित होता है की इसके गुणकारी फायदे न केवल स्वास्थ्य का ध्यान रखेंगे बल्कि देश की (economy growth) आर्थिक विकास मे भी लाभ पहुंचाएंगे।

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