Maithili Sharan Gupt: भारतीय कवि और नाटककार

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 Maithili Sharan gupt 20वीं शताब्दी के एक प्रसिद्ध भारतीय कवि और नाटककार थे।  वह हिंदी साहित्य में एक प्रमुख व्यक्ति थे और “छायावाद” (chayyavad) साहित्यिक आंदोलन के अग्रणी थे।  इस लेख में, हम इस महान हस्ती के जीवन और कार्य के बारे में जानेंगे।

Maithili sharan gupt ka jeevan parichay

नाममैथिलीशरण गुप्त
पिता का नामसेठ रामचरण गुप्ता
माता का नामकाशीबाई
पत्नी का नामश्रीमती सरजू देवी
जन्म स्थानचिरगांव, झांसी, उत्तर प्रदेश
मृत्यु स्थानचिरगांव झांसी
गुरुमहावीरप्रसाद द्विवेदी
कृतियांभारत भारती, साकेत, यशोधरा, पंचवटी, द्वापर, जयद्रथ वध आदि
नागरिकतभारतीय
साहित्य में योगदानअपने काव्य में राष्ट्रीय भावों की गंगा बहाने का श्रेय गुप्ता जी को है। द्विवेदी युग के यह अनमोल रतन रहे हैं।
मुख्य रचनासाकेत
भाषा शैलीब्रजभाषा
पुरस्कारविशिष्ट सेवा पदक
पेशालेखक ,कवि
मृत्यु स्थानभारत
मैथिलीशरण गुप्त की प्रथम पुस्तक कौन सी है?रंग में भंग
मैथिलीशरण गुप्त को राष्ट्रकवि क्यों कहा जाता है?उनकी कृति भारत-भारती (1912) भारत के स्वतन्त्रता संग्राम के समय में काफी प्रभावशाली सिद्ध हुई थी और इसी कारण महात्मा गांधी ने उन्हें ‘राष्ट्रकवि’ की पदवी भी दी थी
मैथिलीशरण गुप्त का प्रथम खंडकाव्य कौन सा है?मैथिलीशरण गुप्त का प्रथम खंडकाव्य कौन सा है?प्रथम काव्य संग्रह “रंग में भंग” तथा बाद में “जयद्रथ वध” प्रकाशित हुई। उन्होंने बंगाली के काव्य ग्रन्थ “मेघनाथ वध”, “ब्रजांगना” का अनुवाद भी किया।
मैथिली शरण गुप्त द्वारा रचित कविता कौन सी है?जयद्रथवध, साकेत, पंचवटी, सैरन्ध्री, बक संहार, यशोधरा, द्वापर, नहुष, जयभारत, हिडिम्बा, विष्णुप्रिया एवं रत्नावली आदि रचनाएं इसके उदाहरण हैं।

प्रारंभिक जीवन: (maithili sharan gupt ka sahityik parichay)

 Maithili Sharan gupt का जन्म 7 अगस्त, 1886 को उत्तरी भारतीय राज्य उत्तर प्रदेश के एक छोटे से गाँव में हुआ था।  उनका पालन-पोषण एक पारंपरिक हिंदू परिवार में हुआ था और उन्हें हिंदू शास्त्रों और शास्त्रीय साहित्य की शिक्षा मिली थी।  छोटी उम्र से ही, उन्होंने कविता और साहित्य के लिए एक जुनून दिखाया और उनकी शुरुआती कविताओं और नाटकों में Indian culture and traditions के प्रति उनके प्रेम को प्रतिबिंबित किया।

आजीविका: (Maithili Sharan gupt career)

 Maithili Sharan gupta ने एक शिक्षक के रूप में अपना करियर शुरू किया और कई वर्षों तक hindi sahittye के प्रोफेसर के रूप में काम किया।  उन्होंने कविता और नाटक भी लिखे, और उनके कार्यों को व्यापक रूप से पहचाना और सराहा गया।  वह अपनी कविताओं और नाटकों के लिए जाने जाते हैं जिन्होंने प्रेम, मृत्यु और जीवन में अर्थ की खोज के विषयों की खोज की।  उनकी रचनाओं में उनकी दार्शनिक गहराई और आध्यात्मिक स्वर की विशेषता थी।

छायावाद साहित्यिक आंदोलन:(Chhayavad Literary Movement of maithili sharan gupt )

 मैथिली शरण गुप्त “छायावाद” साहित्यिक आंदोलन में एक प्रमुख व्यक्ति थे, जो 20 वीं शताब्दी की शुरुआत में भारत में एक साहित्यिक और सांस्कृतिक आंदोलन था।  छायावाद कवि अपने रोमांटिक और कल्पनाशील कार्यों के लिए जाने जाते थे, और मैथिली शरण गुप्त कोई अपवाद नहीं थे।  उन्होंने कविताएँ और नाटक लिखे जो जीवन की सुंदरता और रहस्य का जश्न मनाते थे, और उनकी रचनाओं का भारतीय लेखकों की बाद की पीढ़ियों पर एक बड़ा प्रभाव था।

 उपलब्धियां:(achievements of maithili sharan gupt in hindi)

  मैथिली शरण गुप्त को 1959 में उनके कविता संग्रह “धूल पौधों पर” (dhool podho par) के लिए प्रतिष्ठित साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।

  उन्हें हिंदी साहित्य में उनके योगदान के लिए 1963 में भारत के दूसरे सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार पद्म विभूषण से भी सम्मानित किया गया था।

  उनकी रचनाओं का कई भाषाओं में अनुवाद किया गया है और भारत और विदेशों में व्यापक रूप से पढ़ा और अध्ययन किया जाता है।

परंपरा: (legacy of maithili sharan gupt)

  मैथिली शरण गुप्त का हिंदी साहित्य और संस्कृति पर प्रभाव निर्विवाद है।    मैथिली शरण गुप्त Chhayavad sahittye aandolan के अग्रणी थे और उनकी रचनाएँ दुनिया भर के लेखकों और विचारकों को प्रेरित और प्रभावित करती हैं।

  उनकी कविताओं और नाटकों को हिंदी साहित्य में सबसे महान कृतियों में से एक माना जाता है और व्यापक रूप से पढ़ा और अध्ययन किया जाता है।

  वह हिंदी साहित्य की दुनिया में एक महत्वपूर्ण व्यक्ति बने हुए हैं और उन्हें भारतीय इतिहास में सबसे महान कवियों और नाटककारों में से एक के रूप में याद किया जाता है।

  मैथिली शरण गुप्त की विरासत उनके कार्यों के माध्यम से जीवित है, जो पाठकों और विद्वानों की पीढ़ियों द्वारा मनाई और सराही जाती रही है।

महत्वपूर्ण कार्य: (important works of maithili sharan gupt )

मैथिली शरण गुप्त की कुछ सबसे प्रसिद्ध कृतियों में “धूल पौधों पर,” “काव्य वाटिका,” और “मोहन रंग दे बसंती चोल” शामिल हैं।  इन कार्यों को हिंदी साहित्य की कुछ महानतम कविताओं और नाटकों में से एक माना जाता है और इन्हें कई वर्षों तक व्यापक रूप से पढ़ा और अध्ययन किया गया है।

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मैथिली शरण गुप्त की कुछ प्रसिद्ध कविताओं में शामिल हैं:(maithili sharan gupt ki rachna)

 “धूल पौधों पर” (dhool podho par)- कविताओं के इस संग्रह को गुप्त की सबसे महान कृतियों में से एक माना जाता है और इसे 1959 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।

 “काव्य वाटिका”(kavvya vatika)- कविताओं का यह संग्रह अपनी दार्शनिक गहराई और आध्यात्मिक स्वर के लिए जाना जाता है, और इसे व्यापक रूप से गुप्त की उत्कृष्ट कृतियों में से एक माना जाता है।

 “विभावरी”(vibhari) – यह कविता प्रेम और हानि के विषयों की पड़ताल करती है, और अपनी उदासी भरी सुंदरता के लिए जानी जाती है।

 “मोहन रंग दे बसंती चोल”(Mohan rang de Vasant chol) – यह कविता जीवन और प्रेम का उत्सव है, और व्यापक रूप से गुप्त की सबसे सुंदर कृतियों में से एक मानी जाती है

 अंत में (conclusion)

मैथिली शरण गुप्त एक शानदार कवि और नाटककार थे जिन्होंने भारतीय साहित्य और संस्कृति पर स्थायी प्रभाव डाला।  उनकी रचनाएँ लेखकों और विचारकों की पीढ़ियों को प्रेरित और प्रभावित करती हैं, और वे हिंदी साहित्य की दुनिया में एक महत्वपूर्ण व्यक्ति बने हुए हैं।  यदि आप कविता या भारतीय संस्कृति के प्रेमी हैं, तो आपको मैथिलीशरण गुप्त की रचनाओं का अन्वेषण अवश्य करना चाहिए।

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