हॉलीवुड फिल्मों में आपने जॉम्बी कैरेक्टर (Zombie Virus) देखा होगा। वायरस के चलते इंसानों की मानसिक क्षमता को कम करने की प्रवृत्ति को जॉम्बी से जोड़कर देखा जाता है।
आज पूरी दुनिया में इसकी चर्चा हो रही है क्योंकि फ्रेंच वैज्ञानिकों ने 48,500 साल पुराने जॉम्बी वायरस को जिंदा कर दिया है।
यह अब तक रूस में एक जमी झील के नीचे दफन था। दो साल तक कोरोना महामारी झेल चुकी दुनिया में यह एक नए खतरे के तौर पर देखा जा रहा है।
जिनके बारे में इंसानों को पता ही नहीं था वे अब बर्फ से निकल रहे हैं। हिमालय में दो ग्लेशियरों में बर्फ के नीचे दफन ऐसे दर्जनों वायरस पिछले साल पाए गए थे।
दरअसल, ग्लेशियर के बनने की एक प्रक्रिया है। समय के साथ बर्फ पर बर्फ की लेयर चढ़ती जाती है। धूल के कण और गैसों के साथ बर्फ मोटी होती जाती है।
अब गर्मी से बर्फ पिघल रही तो नीचे छिपी चीजें नए राज उगल रही हैं। इससे वैज्ञानिकों को हजारों साल पहले के वातावरण के बारे में भी नई जानकारी मिल सकती है।
वायरस भी उस समय के वातावरण का ही एक हिस्सा थे। ग्लेशियर की बर्फ अपनी कोख में पुराना इतिहास छिपाए हुए है।
स्टडी में बताया गया है कि किसी प्राचीन गुमनाम वायरस के जिंदा होने से पौधे, जानवरों या इंसानों में बीमारी के हालात कहीं ज्यादा विनाशकारी हो सकते हैं।
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