और इसे जल्द ही मंजूरी भी दी जा सकती है. तथा इससे जुटाई गई रकम का इस्तेमाल उन सरकारी क्षेत्र की परियोजनाओं में होगा, जो अर्थव्यवस्था में कार्बन उत्सर्जन को कम करने में मदद करने वाली हैं.
और सरकार का लक्ष्य इन ग्रीन बॉन्ड के जरिए विदेशी निवेशकों को लुभाने का भी है. रिपोर्ट की मानें तो ये डोमिनेटेड और लंबी अवधि के बॉन्ड होंगे.
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