भारत ने आखिरकार अपने ग्रीन हाउस उत्सर्जन को नेट-जीरो करने की समयसीमा का ऐलान कर ही दिया है. लेकिन इसकी एक वजह यह है की ब्रिटेन के प्रधानमंत्री द्वारा डाला गया दबाव भी था.
इसी बीच 2070 तक कार्बन उत्सर्न को नेट-जीरो करने का लक्ष्य हासिल कर लेगा. ग्लासगो में जारी जलवायु सम्मेलन कॉप26 में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यह ऐलान किया
जो की वैज्ञानिकों द्वारा सुझाई गई 2050 की समयसीमा से दो दशक अधिक है. नरेंद्र मोदी ने भारत की तरफ से देरी का बचाव करते हुए कहा कि देश में दुनिया की 17 प्रतिशत आबादी रहती है
आपको बता दे की वे दुनिया के कुल 5 प्रतिशत उत्सर्जन के लिए ही जिम्मेदार हैं. ग्लासगो में जमा दुनियाभर के नेताओं को उन्होंने कहा कि भारत नवीकरणीय ऊर्जा का इस्तेमाल बढ़ाएगा
और 2030 तक उसकी आधी ऊर्जा जरूरतें नवीकरणीय ऊर्जा से ही पूरी होंगी. फिलहाल भारत की कुल ऊर्जा जरूरत का 38 फीसदी हिस्सा नवीकरणीय ऊर्जा से आता है.
हालांकि आपको बता दे की ब्रिटिश प्रधानमंत्री कार्यालय ने बयान ऐलान के बाद जारी किया. इसमें कहा गया, "प्रधानमंत्री (बोरिस जॉनसन) को उम्मीद थी कि भारत कॉप26 में एक महत्वाकांक्षी लक्ष्य का ऐलान करेगा
क्योंकि ग्लोबल वॉर्मिंग को 1.5 डिग्री सेल्सियस से कम रखने के लक्ष्य को हासिल करने मेंउसकी अहम भूमिका है
ब्रिटेन का दबाव काम आया?
उन्होंने भारत को कोयले से नवीकरणीय ऊर्जा की ओर जाने में ब्रिटेन के समर्थन की भी पेशकश की.” हालांकि भारत ने अभी इस बारे में कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है.
ब्रिटेन का दबाव काम आया?
ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने भारत पर लक्ष्यों का ऐलान करने का दबाव डाला. ब्रिटिश प्रधानमंत्री के दफ्तर से जारी एक बयान में कहा गया
ब्रिटेन का दबाव काम आया?
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