दीपावली के बाद से छठ पूजा का महापर्व शुरू हो जाता है. छठ पूजा कार्तिक माह की शुक्ल पक्ष की षष्ठी ति थि को मनाई जाती है  

इस महापर्व के अंतर्गत प्रात:काल में भगवान सूर्य को अर्घ्य देते हैं और पारण करके व्रत को पूरा किया जाता है. छठ पूजा कोई 1 दिन का 

महापर्व नहीं होता बल्कि यहां चार दिनों का महापर्व होता है. छठ पूजा का यह पर्व नहाय खाय से शुरू होता है जो कि प्रात:कालीन सूर्य को अर्घ्य देकर समाप्त किया जाता है. 

छठ पूजा का प्रारंभ नहाय-खाय से होता है. हर साल दिवाली के 4 दिन बाद यानी कार्तिक माह की चतुर्थी को यह दिन आता है. नहाय-खाय के साथ छठ पूजा की शुरुआत की जाती है.  

इस दिन खास तौर पर घर की रसोई के साफ-सफाई पर विशेष तौर पर ध्यान दिया जाता है. छठ पूजा पर्व पर जो व्यक्ति छठ पूजा करता है  

लोहंडा और खरना 2022: छठ पूजा के दूसरे दिन खरना होता है. इस दिन व्रत करने वाला व्यक्ति पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ स्नान करके दूसरे दिन का व्रत करता है.  

इस दिन भोग के लिए गुड़ की खीर बनाई जाती है. वही सबसे महत्वपूर्ण बात तो यह है कि इस खेल को गैस पर ना बनाकर मिट्टी के नए चूल्हे पर आम की लकड़ियों से आग जलाकर बनाया जाता है. 

 इस दिन व्रत करने वाला व्यक्ति शाम की पूजा की तैयारी करता है. पूजा का तीसरा दिन इस वर्ष 30 अक्टूबर 2022 को रहेगा. पूजा के लिए बांस की टोकरी में अर्घ्य का सूप सजाया जाता है.  

प्रात: काल से शाम 07 बजकर 16 मिनट तकधृति योग: शाम 07 बजकर 16 मिनट से अगली सुबह तक रवि योग: सुबह 07:26 बजे से अगले दिन सुबह 05:48 बजे तकसर्वार्थ सिद्धि योग: सुबह 06:31 बजे से सुबह 07:26 बजे तक रहेगा. 

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